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साहसिक शिविर मनाली में कोंडागांव जिले के रासेयो स्वयंसेवकों एवं कार्यक्रम अधिकारी पी.सी. ठाकुर की सक्रिय सहभागिता

राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ, शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. संजीव कुमार, जिला कोंडागांव के जिला संगठक श्री शशिभूषण कन्नौजे, प्राचार्य डॉ. श्रीमती सरला आत्राम एवं कार्यक्रम अधिकारी श्री समलेश पोटाई के मार्गदर्शन में शासकीय गुण्डाधुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोंडागांव के स्वयंसेवक—खिलेंद्र नेगी, अंजू बोस, डॉली ठाकुर, मूंजी बघेल, वेश कुमार एवं चंद्रशेखर—तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़ेबेन्दरी के कार्यक्रम अधिकारी श्री पूनमचंद ठाकुर, राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रीय साहसिक शिविर मनाली (हिमाचल प्रदेश) में छत्तीसगढ़ दल के साथ शामिल होकर बस्तर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

यह शिविर 10 नवंबर से 19 नवंबर 2025 तक आयोजित है, जिसमें स्वयंसेवक प्रतिदिन विविध साहसिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं।
पहले दिवस 10/11/2025 को पंजीयन उपरांत स्थानीय संग्रहालय का भ्रमण कराया गया तथा माउंटेनियरिंग में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों की विस्तृत जानकारी दी गई। दूसरे दिवस वॉल क्लाइंबिंग करवाई गई। तृतीय दिवस में मनाली से सोलंग वैली तक अक्लमेटाइजेशन ट्रैक किया गया।

चतुर्थ दिवस पर लगभग 9000+ फीट ऊँचे धवला धर पर्वत पर चढ़ाई कर फात्रू क्षेत्र में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। तत्पश्चात उसी पर्वत पर स्थित माँ अंजनी महादेव मंदिर का दर्शन कराया गया।

पांचवें दिवस रिवर क्रॉसिंग, टेंट मेकिंग एवं घायल पर्वतारोही को सुरक्षित स्थान या अस्पताल पहुँचाने की प्रक्रिया का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। छठवें दिवस सोलंग वैली से लौटकर अटल बिहारी वाजपेयी कर्मशाला, मनाली में माउंटेनियरिंग से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।

सातवें दिवस स्वयंसेवकों ने मनाली स्थित विश्व प्रसिद्ध प्राचीन माँ हडिंबा मंदिर का दर्शन किया तथा स्थानीय परंपराओं एवं जनजीवन से जुड़े रोचक पहलुओं को जाना। इसके बाद रॉक क्लाइंबिंग गतिविधि आयोजित की गई।
भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में आयोजित यह राष्ट्रीय साहसिक शिविर, स्वयंसेवकों को प्रतिदिन नई-नई गतिविधियों और अनुभवों से रूबरू करा रहा है। शिविर का समापन 19 नवंबर 2025 को निर्धारित है।

जिला संगठक श्री शशिभूषण कन्नौजे ने कहा कि इस साहसिक शिविर के माध्यम से स्वयंसेवकों में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, टीमवर्क एवं कठिन परिस्थितियों में कार्य करने की अद्भुत क्षमता विकसित होती है। यह शिविर युवाओं को न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी अधिक दृढ़ बनाकर राष्ट्रसेवा के लिए तैयार करता है।

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