न्यूज रिपोर्टर मोहम्मद उस्मान सैफी
सिलयारी मलौद से नकटी मार्ग राहगीरों के लिए खतरा बन गया है। रविवार को शांतिनगर और जंजगीरा के बीच सिलेंडर से भरा ट्रक पलट गया। हालांकि सिलेंडर खाली था। अगर भरी रहती तो बड़ी घटना हो सकती थी। घटना में फिलहाल किसी हताहत की खबर नहीं है। लेकिन मालवाहकों के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। बता दें कि, खराब सड़क से आए दिन हादसे हो रहे है। सड़क को लेकर बड़ी आंदोलन की तैयारी ग्रामीण कर रहे हैं। कंपनियों की गाड़ियों ने सड़कों को भारी क्षति पहुंचाई है। इसलिए हादसे भी बढ़ गए हैं। ग्रामीणों की माने तो अगर सिलेंडर भरा रहता तो यहां बड़ी घटना हो सकती थी। खाली की वजह से बड़ी अनहोनी टल गई। जानकारी के मुताबिक यह गाड़ी खपरी के पास स्थित भारत पेट्रोलियम गैस कंपनी जा रही थी। इसी तरह रोज मालवाहक भारी भरकम सामानों को लादकर फर्राटा भरते हैं। ओवरस्पीड गाड़ियों से दुर्घटना आम बात हो गई है। वाहनों की बाढ़ से ग्रामीण सड़कों की जानें जा रही है। सफर भी खतरा भरा हो गया है। उल्लेखनीय है कि, कारखानों की गाड़ियों से सड़कें खराब हो रही है। भारी वाहनों के चलने से सफर करने वाले राहगीर और ग्रामीणों को भी दुर्घटना का डर लगा रहता है। इसी तरह की कई समस्याओं से ग्रामीण जुझ रहे हैं। पिछले दिनों ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी कर अपनी मांग रखी थी। सड़कों में राहगीरों की सुरक्षा भी ताक पर है। ग्रामीणों के आने-जाने के लिए बनी सड़कों पर पूंजीपतियों के गाड़ी दौड़ रहे हैं और उसे क्षतिग्रस्त कर रहे हैं।
सड़क दुर्घटना आम बात हो गई हैं
बड़ी-बड़ी बातें करने वाले कंपनी सड़क बनाना तो दूर गड्ढे तक को नहीं भरवा पा रहे हैं। जानलेवा गढ्ढों में फिसलकर बाइक सवार गिर रहे हैं। सड़कों का ऐसा हाल मानों कंपनियों ने दुर्घटना का इंतजाम कर रखा हो। कंपनियों ने मिलकर ग्रामीण सड़कों की परते ही उखाड़ दी है। संयंत्रों के ओवरलोड गाड़ियां तेज रफ्तार में आवागमन करते हैं। सड़कों के सीना छलनी कर रहे इन गाड़ियों पर प्रबंधन का भी कोई नियंत्रण नहीं है। ऊपर से राहगीर और स्कूली बच्चे धुल, धुएँ से तंग आ गए हैं। ग्रामीण कह रहे हैं कि जानलेवा गढ्ढें कंपनियों द्वारा कराए गए दुर्घटना के इंतजाम है।
अनदेखी के चलते बद से बदतर हो चुके इस रोड को देख सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि जनमुद्दों को लेकर कितना गंभीर हैं। मरम्मत नहीं होने से डामर की परत उखड़ गए हैं। जगह-जगह गिट्टियां झांकने लगी है फिर भी जिम्मेदार है कि, इधर झांकने तक नहीं आते।
सड़कों पर मालवाहकों का साम्राज्य
कारखानों की बाढ़ आने से सड़कों में भारी भरकम वाहनें ही ज्यादा दिखती है। इधर की सड़कों पर कार, बाइक कम मालवाहक ही ज्यादा नजर आएंगे। कंपनियों में रोज हजारों से ज्यादा गाड़ियों का आवागमन होता है। सुनसान सड़क हो या घनी आबादी गाड़ियों के लापरवाह चालक तेज रफ्तार में गाड़ियां भगा रहे हैं। जिससे राहगीर डरे सहमे हुए हैं। इन गाड़ियों की रफ्तार काबू करने में कंपनियों के पसीने छूट रहे हैं। बस्तियों से होकर मालवाहकों गुजर रही हैं। कंपनी से निकलते ही ये बेलगाम गाड़ियों पर मानों भूत सवार हो जाता है। तेज रफ्तार लोगों की जानें ले रहा है। सड़क दुर्घटना भी बढ़ गया है। रफ्तार पर नकेल कसने में स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह फिसड्डी साबित हो रहा है।
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