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सफाई व्यवस्था में व्यापक भ्रष्टाचार ठेकेदारों द्वारा स्वीकृति से कम श्रमिकों से लिया जा रहा काम बड़ा गोलमाल? अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रदेश प्रवक्ता अफरोज ख्वाजा


अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग (IHRPC) ने नगर पालिक निगम रायपुर के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर  शहर की सफाई व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों के शोषण, और प्रशासनिक लापरवाही के विरुद्ध गंभीर शिकायत दर्ज की है।

शिकायत में कहा गया है कि रायपुर नगर निगम के विभिन्न वार्डों में नियुक्त सफाई ठेकेदार श्रमिकों को नियमित भुगतान नहीं करते। कई श्रमिकों को पहचान पत्र (ID Card), दस्ताने, रेडियम जैकेट और अन्य आवश्यक सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि—
• प्रति वार्ड औसतन 15 श्रमिकों पर एक सुपरवाइज़र की नियुक्ति की जानी चाहिए, परंतु कई वार्डों में यह अनुपात नियमों के विपरीत पाया गया है।
• अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों की भुगतान सूची का क्रॉस वेरिफिकेशन नहीं किया जाता, जिसके कारण फर्जी नामों पर भुगतान किया जा रहा है।
• कुछ अधिकारी और ठेकेदार मिलीभगत से श्रमिकों के वेतन का बड़ा हिस्सा निकाल लेते हैं, जिससे सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

पत्र  के अनुसार, यह भी पाया गया है कि कई ठेकेदार राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्तियों द्वारा संचालित हैं, जिसके कारण निगम अधिकारी कार्रवाई से बचते हैं। परिणामस्वरूप, शहर की स्वच्छता व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है।

 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पत्र के माध्यम से नगर निगम से मांग की है कि:
1. पूरे प्रकरण की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच कराई जाए।
2. दोषी ठेकेदारों और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
3. श्रमिकों के बकाया वेतन और अधिकारों की तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

 कहा कि यदि नगर निगम ठेकेदारों से कार्यादेश के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा सिर्फ 10 प्रतिशत काम भी सही ढंग से करवाए, तो रायपुर शहर को स्वच्छ शहरों में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता।

उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार न केवल श्रमिकों के अधिकारों का हनन है, बल्कि जनता के कर के पैसों की खुली लूट भी है। रायपुर को स्वच्छ बनाना केवल नारों से नहीं, बल्कि ईमानदारी और जवाबदेही से संभव है। 
 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग के प्रदेश प्रवक्ता अफरोज ख्वाजा ने अपने बयान में कहा कि जितनी श्रमिकों की व सफाई कर्मचारियों की स्वीकृति की गई है उतने लोग वार्ड में काम करने नहीं आते हैं ना ही देखे जाते हैं उनका पैसा कहां जाता है या एक गंभीर विषय आखिर कहा जा रहा सफाई का पैसा कहा है बाकि सफाई कर्मचारी यह एक बहोत ही गंभीर विषय है शासन प्रशासन को इस पर जांच कर कार्यवाही करनी चाइये इस भ्रष्टाचार के कारण आम जनता को समस्या दुर्गंध गंदगी व कचरो का सामना करना पड़ता है साथ ही इससे राज्य व वार्डो की छवि बहोत खराब होती है आखिर किसकी जेब में जा रहा है सफाई का पैसा जिम्मेदारों की मिली भगत से हो रहा खेल क्या

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